सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

ये है मुसलमान

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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgcoK9BLGtU-Hy6Qaw0qPle_xbRh7xTHK2K2JM1FTXpHqy93t5kDKieRE80OfKgVtuhqngu6eWXEtX9yV8U87R5pwazFx-mvHV-vrlc_7Mt8YEH8QaY8j48e4yZuy6LwSW3RNQ7AoHfJSo/s1600/erw.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; cssfloat: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" l6="true" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgcoK9BLGtU-Hy6Qaw0qPle_xbRh7xTHK2K2JM1FTXpHqy93t5kDKieRE80OfKgVtuhqngu6eWXEtX9yV8U87R5pwazFx-mvHV-vrlc_7Mt8YEH8QaY8j48e4yZuy6LwSW3RNQ7AoHfJSo/s1600/erw.jpg" /></a></div>
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<span style="color: purple; font-size: large;">&nbsp;</span>इस चेहरे को देख कर आप क्या महसूस कर रहे हैं ... क्या आप बता सकते हैं इसका धर्म क्या हो सकता है.... नही... मैं बताता&nbsp;हूँ ये कौन है । ये है एक आम हिंदुस्तानी जिसे केवल अपने परिवार की रोजी रोटी की चिंता लगी रहती है । यदि शहर में हडताल हो जाये तो इसका परिवार भूखा सोता है, यदि दंगे फसाद हो जाएं तो सबसे पहले यही मरता है और अगर सरकार इसके नाम पर कुछ पैसे देती भी है तो वह सिस्टम के भ्रष्ट हाथों में चला जाता है । ये है नौशाद ।</div>
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&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; यदि इसके चेहरे को देखें तो आप इसके धर्म से इसे नही पहचान पाएंगे, इसे ही क्या आप&nbsp;किसी भी&nbsp;भारतीय को नही पहचान सकते कि आपके बाजू में बैठा सभ्रांत युवक मुस्लिम हो सकता है । हमारे देश के मुसलमान कोई दुसरे देशों से नही आए हैं वे इसी देश की धरा से जुडे हुए हैं उसी तरह से जैसे देश के सारे क्रिश्चियन हमारे ही भाई बंधु थे जिन्हे इसाई मिशनरीयों नें लालच देकर, इलाज करके और शिक्षा देने के बहाने अपने धर्म से जोड लिये । </div>
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&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; हमारे देश की मजबूती के लिये अपने उन सारे भाइयों को एक मंच पर लाने की आवश्यकता है जो उलजलूल धर्म या संप्रदाय के चंगुल में फंसते जा रहे हैं या फिर तथाकथित धर्म गुरूओं के शोषण का शिकार बनते जा रहे हैं । </div>
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&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; भारत में मुस्लिम धर्म को लाने वाले तो मुगल थे लेकिन अप्रत्याशित तरीके से उनके फैलाव को हिंदु पंडितों&nbsp;ने ही बढावा दिया था । मैं स्वयं कान्यकुब्ज ब्राह्मण&nbsp;हूँ लेकिन आज&nbsp;जब&nbsp;भी अपने आसपास के मुस्लिम भाइयों से मिलता हूँ तो बिल्कुल नही लगता कि मैं किसी दुसरे देशवासी से बात कर रहा हूँ । जिस तरह से ऊपर नौशाद की तस्वीर देखकर आप नही बता सकते उसी तरह यकिन रखें कि कोई दुसरा भी चेहरा देखकर हिंदु मुस्लिम का अंतर नही बता सकता । अब हमें बजाये ये सोचने के कि हिंदु राष्ट्र बनाया जाये हमें ये सोचना होगा कि एक ऐसा समाज बनाया जाये जहां हर संप्रदाय केवल मानव हित की सोचे और केवल एक ईश्वर की अराधना करे । आज कई गुरूओं ने अपने अपने आश्रम बना लिये हैं जिनमे एक ईश्वर की बातें बताई जाती है लेकिन घुमा फिरा कर वे भी गीता पर आ जाते हैं यानि उनका ज्ञान कहीं ना कहीं से रटा हुआ होता है ।&nbsp;<span style="color: blue;">अधिकांश धर्म गुरू हास्यापद तरीके से पति पत्नि को दीक्षा देकर भाई बहन&nbsp;बना देते हैं&nbsp;यानि संबंधों की ऐसी की तैसी करने और सामाजिक गठबंधन को तोडने वालों की कोई बात नही करना चाहता</span> &nbsp;उन्हे तो लगता है कि मात्र शारीरिक संबंधो से दूरी करवाने से ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है । ऐसे तथाकथित धर्म गुरूओं&nbsp;नें ही हमारे सनातन धर्म का सत्यानाश करने में अहम भूमिका निभाये हैं यदि किसी मुस्लिम ने हिंदु को छू भी दिया तो वह हिंदु भी मुसलमान माना जाता था&nbsp;जिसे उस समय के&nbsp;हिसाब से धार्मिक रिवाज बना दिया गया (दलितों का उदाहरण अब भी हमारे सामने है) &nbsp;ऐसा होने का दुष्परिणाम ये हुआ कि हमारे ही कई पूर्वज और उनके रिश्तेदार आज मुस्लिम समाज में प्रतिष्ठित हो चुके हैं ।&nbsp; </div>
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&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;<span style="color: purple;">( इस लेख के कई भाग परम पूज्य गुरूदेव स्वामी श्री कृष्णायन जी महाराज के द्वारा&nbsp;उपदेशित हैं&nbsp;)</span>&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;</div>
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शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

हम हैं सूरदास .....

सूरदास ... महान कृष्ण भक्त औऱ अकबर के प्रमुख दरबारी .. वे अंधे या नही इसमें कई विषमतायें हैं लेकिन मैं उस तरफ हूँ जो उन्हे आँखो वाला अँधा कहते हों । जी हां मेरे विचर में सूरदास कृष्णमोह में ऐशे बंधे हुये थे कि उन्हे हर जगह कृष्ण ही कृष्ण दिखलाई पडते थे इसलिये उन्होने जमाने के हिसाब से स्वयं को अँधा माना और जब जमाने ने देखा कि उन्हे तो कृष्ण के सिवाय कुछ दिखलाई नही पड रहा है तो उसने भी उन्हे अँधा कहा । 
                        धन्य है सूरदास जिन्होने अँधत्व की एक नई परिभाषा बताये कि किस तरह आँखो के होते हुये भी अँधा बना जा सकता है । अरे हां .. याद आया अभी कुछ दिन पहले  किसी अखबार में पढा कि गांव की युवती को नंगा करके सारे गाँव में घुमाया गया था और 5 लोगों नें उसका सामूहिक बलात्कार किये थे उस गाँव का नाम तो याद नही आ रहा है वरना आप लोगों को बताता कि चलिये देखिये वहाँ आज भी कई सूरदासी लोग रह रहे हैं । फर्क केवल इतना है कि सूरदास केवल कृष्ण के रूप में खोए रहते थे और ये सूरदास गोपियों में खोए रहते हैं .... र्निवस्त्र ।
                                        अरेरेरेरेरे माफी चाहूंगा भाई अच्छे खासे धर्मचर्चा का मैने बलात्कार कर दिया ........ मुझे क्षमा करें हे देश के सूरदासी बंधुओं  आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिये.... लेकिन क्या करूं मेरी भावना भी वैसी ही हो गई है जैसी देश की होती जा रही है, मैं अपने चरित्र को बचाने का प्रयास करता हूँ तो सामने दुसरी भावना आ जाती है । चलिये पुनः क्षमा याचना के साथ आगे बढते हैं .. सूरदास को कितना पारिश्रमिक अकबर देते होंगे ये तो नही पता लेकिन अच्छा देते होंगे तभी तो सूरदास को अपनी रचना बनाने में कोई परेशानी नही आती थी वरना आजकल के तो कई सूरदास रचना के साथ बैठकर, लेटकर ही अपनी रचना पूरी कर रहे हैं और उन्हे उनका मेहनताना भी रचना ही दे देती है ..... लेकिन बात वहीं अटक जाती है ,,...,, भावना पर आकर ... अब आपकी भावना को मैं अपनी समझने की भूल तो कदापि नही कर सकता भले ही आपकी भावना मुझ पर आकर्षित हो रही हो ... इसलिये हमने उसे नये जमाने में लिव ...सिव जैसा कुछ नाम दे रखा है । 
                                   अरे भाई अब मेरी भावना को आप गलत ना समझें वह मनमोहन की मोहिनी की तरह एकदम पाक साफ है यानि की नजर तो गंदी है मगर नियत साफ है । अब बात चली बलात्कार की तो याद आया कि एक देश का बलात्कार हो गया जिसका हुआ उसके बच्चों नें बलात्कारीयों के पिता पर उंगली उठाई और आरोप लगाये तो बच्चों के पिता नें सफाई के साथ कहा कि घर संभालने के लिये कई बातों को अनदेखा करना पडता है मेरे बच्चे तो अच्छे थे लेकिन तुम्हारी माँ को इतना सजधज कर जाते देख उनकी नियत बदल गई और जेवर उतारते उतारते जो हुआ उसे तुम लोग नाहक बलात्कार कह कर बलात्कार का नाम बदनाम कर रहे हो ।  तुम्हारे देश की  लाज दुबारा ना लुटे इसलिये एक डायन को भेजा हुआ हूँ जो तुम्हारे देश की आबरू लुटे बगैर केवल घर बार बिकवा देगी और तुम्हारी बलात्कार की कहानी सूरदासी खबरों में दब जाएगी ।